Saturday, 14 September 2013

kalagarh 6-9-2013 aadil rasheed

सुबह सवेरे ही निकल पड़े पुरानी  यादों को ताज़ा करने और जा पहुंचे मीरा सोत जो के मछली मारने का एक यादगार पॉइंट है लेकिन अब वहां बहुत कुछ बदल गया है
मीरा सोत में  कुछ पुराने दोस्तों से या यूँ कहो उन पुराने दोस्तों के बच्चों से मुलाक़ात हुई.सुरमई धुप में बड़े आराम से धूप  सेंक रहे थे 
हमने भी इनको परेशान करना मुनासिब नहीं समझा और निकल पड़े कहीं और

kalagarh uttrakhand meerasot




आगे जा कर मछली मारी और भून के खाई  नदी में काफी मेहनत के बाद  से मछली मरने के बाद वहीँ भून के खाने का मज़ा ही अलग होता है कभी मौक़ा लगे तो आजमा कर देखना धीरे धीरे शाम होती गयी फिर सूरज के अस्त होने का दिलकश मंज़र देखा और लौट आये घर को। …अदिल रशीद

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